वानी

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ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 44

ब्लैक बेंगल्स चेप्टर 44

           देवांश की जे वाई सी कंपनी

अब तक आपने पढ़ा ज्योति के भाई की बारात जाती है ,उसके बाद  यश भी वापस लोट जाता है।
ज्योति घर आ कर अपने भाई का कमरा सजाती है, ओर जा कर छत पर बैठ जाती है....तभी उसके पास किसी का कॉल आता है...
तब उसे पता चलता है की देवांश कैनेडा चला गया है.. और कुछ दिन बाद पुणे जायेगा... 

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"अब आगे"

  पटना

ज्योति अपने कमरे मे आती है ओर अपनी कुछ फोटोज किल्क करती है और अपने फैमली ग्रुप मे भेज देती है । उसके बाद नहा कर नया लेहंगा पहन कर रेडी हो जाती है...फिर एक नजर खुद को देखती है और नीचे सबके साथ आकर बैठ जाती है....और अपने भाई के आने का इंतजार करने लगती है। 

10 बजे के करीब घर के सभी लोग दुल्हन के साथ आते है घर की औरते दूल्हा और दुल्हन का स्वागत करती है...फिर दोनो का ग्रह प्रवेश् होता है,आगे की सारी रसमें करते करते रात के 8 बज जाते है.... उसके बाद दूल्हा और दुल्हन को आराम करने के लिए भेजा जाता है, तभी ज्योति दरवाजा रोक कर खड़े हो जाती है ,लेकिन इस समय उसने लेहंगा नहीं जींस और व्हाइट टी-शर्ट पहनी हुई थी

और उसके हाथ मे एक लेटर था उसे ऐसे तैयार देख दीपक कहता है "कही जा रही है क्या" 
ज्योति मुस्कुराते हुए केहती है "हाँ ज़रूरी काम है... इसलिए जा रही हूँ... लेकिन अपना नेग लेकर जाऊंगी"

दीपक मुस्कुराकर कहता है "ले लेना लेकिन अभी क्यों जा रही है... कुछ दिन रुक जाती"

ज्योति फिर कहती है "कुछ जरूरी काम है...लेकिन...नेग मुझे आपसे नही भाभी से चाहिए वोलो मंजूर है।
दीपक कहता है "हाँ ठीक है"

ज्योति अपनी भाभी का हाथ पकड़ती है और कहती है "भाभी मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए....बस इतना चाहिए की आप मेरे परिवार का ख्याल रखे....मेरे परिवार को कभी मेरी याद ना आए". ....उसका इतना कहना था की दीपक गुस्से मे कहता है"ये क्या बकवास कर रही है"
ज्योति मुस्कुराते हुए कहती है "भाई मे हमेशा घर पर नहीं रहती हूँ ड्यूटी भी करती हूँ....तो घर पर कोई होना चाहिए ना जो मेरी कमी पूरी कर सके इसलिए"

फिर अपनी भाभी का हाथ पकड़ते हुए कहती है "बोलिये भाभी मंजूर है...आप बस इतना कर देना यही एक वादा चाहिए" ज्योति बात सुन उसकी की भाभी कहती है "ठीक है मुझे मंजूर है मै सबका खयाल रखूंगी"

ज्योति उनके गले लग जाती है,फिर अपने भाई के गले लगती है और  सबसे मिल कर एक नजर सबको देखती है फिर वहा से निकल जाती है....ज्योति को जाते देख उमा जी की आँखे नम हो जाती है उमा जी उस तरफ देखते हुए कहती है "पहली बार इसके जाने से डर लग रहा है"

अंकित उमा जी को समझाते  हुए कहता है ..."माँ उसे जरूरी काम है...इसलिए जा रही है...आप ये सीरियल की औरतो की तरह बात मत किया करो प्लीज"

अंकित उमा जी को अपने साथ ले जाता है ,ओर सब अपने अपने  काम में लग जाते है...
लेकिन दीपक को अजीब सा लग रहा था
दीपक एक नजर अपनी माँ को देखता है, फिर उस खत को देखता है। और उसे लेकर छत पर चला जाता है और खुद से कहता है  "माफ करना बहन"  लेकिन इस बार ये जरूरी है ,दीपक  वो खत निकलता  है और उसे पढ़ने लगता है।  खत पढ़ने के बाद  दीपक की आँखो से आंसू आ जाते है, दीपक खुले आसमान को देखते हुए कहता है। "मेने तो बहन मांगी थी फरिश्ता नहीं...क्यों भगवान ऐसी बहन मुझें क्यों"
थोड़ी दर बाद ...दीपक अपने कमरे मे चला जाता है।


"पटना रेलवे स्टेशन"

ज्योति रेलवे स्टेशन पर बैठी अपनी ट्रेन का  इंतजार कर रही थी।  लेकिन पता नहीं क्यों उसे यश का इत्तेफाकन मिलना याद आ रहा था.....
थोड़ी  देर में ज्योति की ट्रेन  आ जाती है। ज्योति एक नजर मुड़ कर अपने शहर को देखती है फिर ट्रेन में चढ़ जाती है।......

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"केनेडा"

देवांश एक होटल में बैठे हुए किसी का इंतजार कर रहा था तभी  वहा एक 30-32 साल का अंग्रेज आता है.....देवांश उसे बैठने का इशारा करता है वह आदमी देवांश के सामने बैठ जाता है। देवांश उस आदमी को एक फ़ाइल देते हुए कहता है "यह फ़ाइल यहा की कंपनी का  डिजाइन  है और  यह काम जल्दी से जल्दी शुरु करवाओ... ये कंपनी एक ज्वैलरी डिज़ाइनर कंपनी होगी.. 
एंड  वन मोर थिंग. ..... ये सारा काम लिगल होना चाहिए"

 देवांश की लिगल वाली बात सुन कर वह आदमी कहता है "लेकिन लिगल काम मे बहुत समय लगेग"
 देवांश एक सरसरी  नजर उस आदमी पर डालता है फिर कहता है  "जितना पैसा लगे लगाओ...जितना समय लगे कोई बात नहीं लेकिन एक बात याद रहे  इस् कम्पनि का नाम्....जे बाय सी होना चाहिए और काम सारा लीगल होना चाहिये"

वह आदमी कन्फुयज होते हुए कहता है "जे वाई सी का क्या  मतलब है" । देवांश खड़े होते होते कहता है'  'तुम्हे इससे कोई मतलब नहीं जो काम कहा है  वो काम् हो जाना चाहिए बस" इतना कह कर देवांश वहा से निकल जाता है....उसी के पीछे  रॉकी  भी निकल जाता है। देवांश रॉकी से कहता है पकिस्तान  चलने की तैयारी करो।

रॉकी कहता है ओके बॉस....

 इतना कह कर दोनो एयरपोर्ट की तरफ निकल जाते है। एयरपोर्ट के वेटिंग एरिया में बैठे देवांश कुछ सोच रहा था।...लेकिन क्या .....
कोई नहीं जानता था। रॉकी उससे पूछता है "बॉस आप सारा काम लीगल क्यों करवाने चाहते हैं"......देवांश कहता है "में क्या करता हू, कैसे करता हू, क्यों करता हूँ  ये  सब तुम कभी नहीं समझ पाओगे
ओर अगर तुम समझ पाते तो आज तुम यहा होते मेरी जगह पर"

रॉकी एक नजर उसे देखता है ओर फिर खुद से ही कहता है "ये आदमी सच में पागल है"
देवांश रॉकी को तिरछी नज़र से देखते हुए कहता है "अगर गालियाँ देना हो गया हो तो चलें"
रॉकी उठते हुए कहता है "सॉर्री बॉस चलिए"

दोनो अपनी फ्लाइट के लिए निकल जाते हैं.... 

इस महीने मे कुछ खास था
उस वक़्त जब हम पहली बार मिले थे
कितना खूबसूरत था ना वो हमारा साथ
हमारा वो बेवजह लड़ना 
उस लडाई मे अपना प्यार जताना
कितना कुछ हमारे पास था
सब कुछ कितना सुकून था
आज फिर वही महिना है 
जिसने दिया तो बहुत कुछ था लेकिन छीन सबकुछ लिया
इसी जालिम December ने
लेकिन फिर भी ना वक़्त बदला ना वो एहसास बदला 
ना तेरी यादें बदली और ना ही मै बदला
बदला है तो बस साल लेकिन वो महिना ना बदला
इस महीने मे आज सब खाक है जिस महीने मे सब कुछ साथ था
उस वक़्त जब तु मेरे साथ था
तु मेरे साथ था
तु मेरे साथ था
@Secret_writter_1402


क्या ज़रूरी काम है ज्योति को? लीगल काम क्यों करवाना चाहता है देवांश? जे वाई सी का क्या मतलब है? 
जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी ब्लैक बेंगल्स मिलते हैं अगले चेप्टर मे तब तक के लिए 

.......... बाय बाय.......

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4 Comments

madhura

11-Aug-2023 07:21 AM

Awesome part

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Varsha_Upadhyay

01-Feb-2023 07:01 PM

Nice 👍🏼

Reply

Rajeev kumar jha

31-Jan-2023 12:59 PM

Nice part

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